भारत पर भड़के ट्रंप! लेकिन पुतिन से मिलते ही बदली चाल?

हुसैन अफसर
हुसैन अफसर

दुनिया में शांति और डेमोक्रेसी का झंडा बुलंद करने वाला अमेरिका, भारत पर तेल खरीद को लेकर लगातार दबाव बना रहा है।
रूस से कच्चा तेल खरीदने पर ट्रंप प्रशासन ने भारत पर डबल टैरिफ लगा दिया है। सवाल उठता है कि यही कच्चा तेल चीन भी खरीद रहा है, लेकिन दबाव सिर्फ भारत पर क्यों?

रूस-भारत डील से क्यों चिढ़ा अमेरिका?

रूस की सुरक्षा परिषद के वैज्ञानिक सलाहकार एंड्रयू सुशेनत्सोव ने इस पर खुलकर बात की।
उनका कहना है:

“अमेरिका चाहता है कि भारत उसकी लकीर पर चले और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को छोड़ दे। लेकिन भारत अब ‘नो मोर दबाव’ की नीति पर चल रहा है।”

ट्रंप की रणनीति: दबाव डालो, काम न चले तो यू-टर्न लो!

एंड्रयू का तंज स्पष्ट है:

“अमेरिका पहले भी इसी तरह से देशों पर दबाव बनाता रहा है। जब चाल नहीं चलती, तो खुद ही जीत मान लेता है और वापस हट जाता है।”

ट्रंप की पॉलिसी: पहले धमकी, फिर डील।

क्या पुतिन से मुलाकात में होगी सीजफायर पर बात?

अलास्का में ट्रंप-पुतिन मीटिंग को लेकर अटकलें तेज हैं। ट्रंप ने पहले कहा कि “पुतिन मानेंगे नहीं”, लेकिन अब संकेत दे रहे हैं कि

“डील संभव है… हर चीज़ का असर होता है।”

यह बदलती भाषा सिर्फ रूस को लेकर नहीं, बल्कि भारत पर नीति बदलने का भी संकेत हो सकती है।

भारत पर ट्रंप की सख्ती का असली कारण क्या है?

  • भारत अब अमेरिका का “साइलेंट पार्टनर” नहीं है

  • स्वतंत्र विदेश नीति पर अडिग है

  • अमेरिका चाहता है भारत चीन की काट बने, लेकिन अपनी शर्तों पर

ऐसे में ट्रंप की नीति है:

दबाव बनाओ, डील करो, और खुद को ‘डील मेकर’ साबित करो।

भारत पर डबल टैरिफ लगाना सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति है। ट्रंप को यह समझना होगा कि भारत अब किसी के प्रभाव क्षेत्र में रहने वाला देश नहीं, और न ही वह किसी के कहने पर अपनी विदेश नीति बदलेगा।

पुतिन से ट्रंप की मुलाकात के बाद, क्या भारत के लिए रवैया बदलेगा? यह आने वाले समय में साफ हो जाएगा।

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